मन में अच्छा सोंच कर काम शुरू करो , जिससे काम में जोश रहे , दिमाग फ़ालतू सोंचने के बजाय काम पर फोकस हो सके
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
मैं-बुरे कर्मों से आपका आने वाला कल बुरा हो जाता है।
Jb insan dunia m jnm lenta h uska bhagya pehle Hello teh ho jata h .karm to vo poor m krta h…es lyi luck overweigh the karma ..bcoz jo luck m likha hota h krm b usi ke acc hote h
संसार में तीन प्रकार के लोग हैं। एक भाग्यवादी, जो कि मानते हैं कि सब कुछ पहले से ही नियत है इसलिए पुरुषार्थ करके भी क्या बदल जाएगा। दूसरे हैं पुरुषार्थवादी, जिन्हें लगता है कि भाग्य कुछ नहीं होता, कर्म ही सब कुछ है। तीसरे होते हैं परमार्थी, जो परमअर्थ अर्थात परमात्मा को ही सब कुछ मानते हुए लाभ-हानि में सम रहकर जीवन व्यतीत करते हैं। मनीषियों ने तीसरी श्रेणी के लोगों को उत्तम प्रवृत्ति का बताया है। ऐसे व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में आनंदमय अर्थात शांत भाव से जीवन-यापन करते हैं।
तो चलिए अपनी डिबेटिंग स्किल्स दिखाइए और अपने तर्कों से आपे उलट विचार रखने वालों को भी अपनी बात मानने पर मजबूर कर दीजिये! ????
“भाग्य बड़ा है या कर्म” ये एक ऐसा प्रश्न है जिसका सामना हम रोजाना की जिन्दगी में करते रहते है
Karm pradhan vishv kr rakh,jo js kr Hello so ts fl chakha.…..arthat vishv m krm Hello pradhan h…jo jaisa karm krta h vaisa hi fl milta h. krm se hi bhagya k nirman hota h.n ki bhagya se krm ka..
क्या सचिन तेंदुलकर की निष्ठा जूनून , लगन , अनुशासित जीवन और हार्ड वर्क को हम नकार सकते हैं
कर्म ही बड़ा होता है, इसीलिए ये नहीं कहते कि “भाग्य ही पूजा है” बल्कि ये कहते हैं कि “कर्म ही पूजा है”
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
.तो याद रखिये.. भाग्य आपके साथ नहीं बल्कि साक्षात भगवान् आपके साथ website है !
प्रेमानंद महाराज से जानिये कि क्या कर्म द्वारा भाग्य को बदला जा सकता है
कोई किसी की बुराई अथवा तारीफ क्यों और कब करता है? कैसे और कब बदल जाते हैं मनुष्य के विचार एक दूसरे के प्रति